ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये तिरा बयान 'ग़ालिब' By Sher << कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ म... वो उट्ठे दर्द उट्ठा हश्र ... >> ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये तिरा बयान 'ग़ालिब' तुझे हम वली समझते जो न बादा-ख़्वार होता Share on: