क्या देखता है हाथ मिरा छोड़ दे तबीब By Sher << माना कि इस ज़मीं को न गुल... पचपन बरस की उम्र तो होने ... >> क्या देखता है हाथ मिरा छोड़ दे तबीब याँ जान ही बदन में नहीं नब्ज़ क्या चले Share on: