क्या ग़म अगर यज़ीद रहा इक़्तिदार में By Sher << कोई ऐसी दवा दे चारा-गर मोहब्बत के घरों के कच्चे-... >> क्या ग़म अगर यज़ीद रहा इक़्तिदार में परचम तो फिर हुसैन का मीर-ए-अवाम है Share on: