क्या मआल-ए-दहर है मेरी मोहब्बत का मआल By Sher << ये तिरे अशआर तेरी मानवी औ... पारा-ए-दिल है वतन की सरज़... >> क्या मआल-ए-दहर है मेरी मोहब्बत का मआल हैं अभी लाखों फ़साने मुंतज़िर आग़ाज़ के Share on: