ये तिरे अशआर तेरी मानवी औलाद हैं By Sher << ज़ख़्म-ए-फ़ुर्क़त को पलको... क्या मआल-ए-दहर है मेरी मो... >> ये तिरे अशआर तेरी मानवी औलाद हैं अपने बच्चे बेचना 'इक़बाल-साजिद' छोड़ दे Share on: