क्या शख़्स था उड़ाता रहा उम्र भर मुझे By Sher << मैं फिर इक ख़त तिरे आँगन ... किस को थी ख़बर इस में तड़... >> क्या शख़्स था उड़ाता रहा उम्र भर मुझे लेकिन हवा से हाथ मिलाने नहीं दिया Share on: