लबों ने उस के भी गुस्ताख़ियाँ बहुत की हैं By Sher << कुछ और कोई अब्र-ए-बहारी क... हज़ार हुस्न दिल-आरा-ए-दो-... >> लबों ने उस के भी गुस्ताख़ियाँ बहुत की हैं ये और बात कि होंटों की सुर्ख़ियाँ न गईं Share on: