हज़ार हुस्न दिल-आरा-ए-दो-जहाँ होता By Sher << लबों ने उस के भी गुस्ताख़... हम दहर के इस वीराने में ज... >> हज़ार हुस्न दिल-आरा-ए-दो-जहाँ होता नसीब इश्क़ न होता तो राएगाँ होता Share on: