लबों पे जान है इक दम का और मेहमाँ है By Sher << पलट सी गई है ज़माने की का... शागिर्द-ए-रशीद आप सा हूँ ... >> लबों पे जान है इक दम का और मेहमाँ है मरीज़-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत का तेरे हाल ये है Share on: