लबों पे मौज-ए-तबस्सुम निगह में बर्क़-ए-ग़ज़ब By Sher << तहसीन के लायक़ तिरा हर शे... इश्क़ उस का आन कर यक-बारग... >> लबों पे मौज-ए-तबस्सुम निगह में बर्क़-ए-ग़ज़ब कोई बताए ये अंदाज़-ए-बरहमी क्या है Share on: