तहसीन के लायक़ तिरा हर शेर है 'अकबर' By Sher << तेशे की क्या मजाल थी ये ज... लबों पे मौज-ए-तबस्सुम निग... >> तहसीन के लायक़ तिरा हर शेर है 'अकबर' अहबाब करें बज़्म में अब वाह कहाँ तक Share on: