लैला है न मजनूँ है न शीरीं है न फ़रहाद By Sher << बातें कई ज़बानी मैं ने कह... उन को जल्वत की हवस महफ़िल... >> लैला है न मजनूँ है न शीरीं है न फ़रहाद अब रह गए हैं आशिक़ ओ माशूक़ में हम आप Share on: