उन को जल्वत की हवस महफ़िल में तन्हा कर गई By Sher << लैला है न मजनूँ है न शीरी... शौक़िया कोई नहीं होता ग़ल... >> उन को जल्वत की हवस महफ़िल में तन्हा कर गई जो कभी होते थे अपनी ज़ात से इक अंजुमन Share on: