लज़्ज़त-ए-दर्द मिली जुर्म-ए-मोहब्बत में उसे By Sher << वहीं बहार-ब-कफ़ क़ाफ़िले ... तुझे सीने से लगा लूँ तुझे... >> लज़्ज़त-ए-दर्द मिली जुर्म-ए-मोहब्बत में उसे वो सज़ा पाई है दल ने कि ख़ता झूम उठी Share on: