लाख कहते रहें ज़ुल्मत को न ज़ुल्मत लिखना By Sher << हादिसा भी होने में वक़्त ... दोनों आँखें दिल जिगर हैं ... >> लाख कहते रहें ज़ुल्मत को न ज़ुल्मत लिखना हम ने सीखा नहीं प्यारे ब-इजाज़त लिखना Share on: