लर्ज़ां है किसी ख़ौफ़ से जो शाम का चेहरा By Sher << आशिक़ों की ख़स्तगी बद-हाल... मैं ने बचपन की ख़ुशबू-ए-न... >> लर्ज़ां है किसी ख़ौफ़ से जो शाम का चेहरा आँखों में कोई ख़्वाब पिरोने नहीं देता Share on: