मैं ने बचपन की ख़ुशबू-ए-नाज़ुक By Sher << लर्ज़ां है किसी ख़ौफ़ से ... मुझे न देखो मिरे जिस्म का... >> मैं ने बचपन की ख़ुशबू-ए-नाज़ुक एक तितली के संग उड़ाई थी Share on: