ले उड़ी घूँघट के अंदर से निगाह-ए-मस्त होश By Sher << वो हाथ उन के चूमती है मैं... कुछ टूटे फटे सीने को साथ ... >> ले उड़ी घूँघट के अंदर से निगाह-ए-मस्त होश आज साक़ी ने पिलाई है हमें छानी हुई from behind the veil, her gaze my senses took she has poured me wine today through a sieve Share on: