लिक्खा है तारीख़ के सफ़हे सफ़हे पर ये By Sher << शर्म आती है कि उस शहर में... हाल मत पूछ मोहब्बत का हवा... >> लिक्खा है तारीख़ के सफ़हे सफ़हे पर ये शाहों को भी दास बनाया जा सकता है Share on: