लोग यूँ जाते नज़र आते हैं मक़्तल की तरफ़ By Sher << मैं भी यहाँ हूँ इस की शहा... क्या बदन है कि ठहरता ही न... >> लोग यूँ जाते नज़र आते हैं मक़्तल की तरफ़ मसअले जैसे रवाना हों किसी हल की तरफ़ Share on: