लुट गई शब को दो शय जिस को छुपाते थे बहुत By Sher << हुस्न बाज़ार की ज़ीनत है ... यूँ चुराईं उस ने आँखें सा... >> लुट गई शब को दो शय जिस को छुपाते थे बहुत इन हसीनों से कोई पूछे कि क्या जाता रहा Share on: