मगर गिरफ़्त में आता नहीं बदन उस का By Sher << इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अद... ले मेरे तजरबों से सबक़ ऐ ... >> मगर गिरफ़्त में आता नहीं बदन उस का ख़याल ढूँढता रहता है इस्तिआरा कोई Share on: