महक अजब सी हो गई पड़े पड़े संदूक़ में By Sher << निगाह-ए-इश्क़ दिल-ए-ज़िंद... यूँही दिल ने चाहा था रोना... >> महक अजब सी हो गई पड़े पड़े संदूक़ में रंगत फीकी पड़ गई रेशम के रूमाल की Share on: