महक में ज़हर की इक लहर भी ख़्वाबीदा रहती है By Sher << माना कि ज़िंदगी में है ज़... कुछ अब के हम भी कहें उस क... >> महक में ज़हर की इक लहर भी ख़्वाबीदा रहती है ज़िदें आपस में टकराती हैं फ़र्क़-ए-मार-ओ-संदल कर Share on: