माना कि ज़िंदगी में है ज़िद का भी एक मक़ाम By Sher << मिरा चाक-ए-गिरेबाँ चाक-ए-... महक में ज़हर की इक लहर भी... >> माना कि ज़िंदगी में है ज़िद का भी एक मक़ाम तुम आदमी हो बात तो सुन लो ख़ुदा नहीं Share on: