महव-ए-हैरत हूँ ख़राश-ए-दस्त-ए-ग़म को देख कर By Sher << हम दर्द के मारे ही गिराँ-... ज़िंदगी एक कहानी के सिवा ... >> महव-ए-हैरत हूँ ख़राश-ए-दस्त-ए-ग़म को देख कर ज़ख़्म चेहरे पर हैं या है आईना टूटा हुआ Share on: