उसी ने बख़्शा है मुझ को शुऊ'र जीने का By Sher << खुली है कुंज-ए-क़फ़स में ... ख़्वाहिश से कब है तेरी तल... >> उसी ने बख़्शा है मुझ को शुऊ'र जीने का जो मुश्किलों की घड़ी बार बार आई है Share on: