मैं आईना बनूँगा तू पत्थर उठाएगा By Sher << इस शहर में इक आहू-ए-ख़ुश-... तुम्हारी तेग़ से आँखें लग... >> मैं आईना बनूँगा तू पत्थर उठाएगा इक दिन खुली सड़क पे ये नौबत भी आएगी Share on: