तुम्हारी तेग़ से आँखें लगी हैं मरने वालों की By Sher << मैं आईना बनूँगा तू पत्थर ... न काबा ही तजल्ली-गाह ठहरा... >> तुम्हारी तेग़ से आँखें लगी हैं मरने वालों की ये लैला कब मिरी जाँ पर्दा-ए-महमिल से निकलेगी Share on: