मैं अब जो हर किसी से अजनबी सा पेश आता हूँ By Sher << ऐ नसीम-ए-सहरी बू-ए-मोहब्ब... नवाज़ा है मुझे पत्थर से ज... >> मैं अब जो हर किसी से अजनबी सा पेश आता हूँ मुझे अपने से ये वाबस्तगी मजबूर करती है Share on: