मैं अपने ग़म-ख़ाना-ए-जुनूँ में By Sher << बहुत नज़दीक आती जा रही हो ऐ नवा-साज़-ए-तमाशा सर-ब-क... >> मैं अपने ग़म-ख़ाना-ए-जुनूँ में तुम्हें बुलाना भी जानता हूँ Share on: