मैं अपनी ख़ुशियाँ अकेले मनाया करता हूँ By Sher << सारे दिल एक से नहीं होते बनाते हैं हज़ारों ज़ख़्म-... >> मैं अपनी ख़ुशियाँ अकेले मनाया करता हूँ यही वो ग़म है जो तुझ से छुपा हुआ है मिरा Share on: