मैं बे-ख़याल कभी धूप में निकल आऊँ By Sher << जल उठें यादों की क़ंदीलें... आज फिर नींद को आँखों से ब... >> मैं बे-ख़याल कभी धूप में निकल आऊँ तो कुछ सहाब मिरे साथ साथ चलते हैं Share on: