मैं देर तक तुझे ख़ुद ही न रोकता लेकिन By Sher << 'मुनीर' अच्छा नही... न सुर्ख़ी ग़ुंचा-ए-गुल मे... >> मैं देर तक तुझे ख़ुद ही न रोकता लेकिन तू जिस अदा से उठा है उसी का रोना है Share on: