मैं फूट फूट के रोई मगर मिरे अंदर By Sher << मैं रौशनी हूँ तो मेरी पहु... मैं किसी जन्म की यादों पे... >> मैं फूट फूट के रोई मगर मिरे अंदर बिखेरता रहा बे-रब्त क़हक़हे कोई Share on: