मैं रौशनी हूँ तो मेरी पहुँच कहाँ तक है By Sher << मैं शाख़-ए-सब्ज़ हूँ मुझ ... मैं फूट फूट के रोई मगर मि... >> मैं रौशनी हूँ तो मेरी पहुँच कहाँ तक है कभी चराग़ के नीचे बिखर के देखूँगी Share on: