मैं ख़ुद में गूँजता हूँ बन के तेरा सन्नाटा By Sher << शाम को सुब्ह से ताबीर करो... एक ही वक़्त में प्यासे भी... >> मैं ख़ुद में गूँजता हूँ बन के तेरा सन्नाटा मुझे न देख मिरी तरह बे-ज़बाँ बन कर Share on: