मैं क्या करूँ कि ज़ब्त-ए-तमन्ना के बावजूद By Sher << नींद क्या है ज़रा सी देर ... किनारे ही से तूफ़ाँ का तम... >> मैं क्या करूँ कि ज़ब्त-ए-तमन्ना के बावजूद बे-इख़्तियार लब पे तिरा नाम आ गया Share on: