मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है By Sher << मकाँ से होगा कभी ला-मकान ... ख़ुशी ज़रूर थी 'तैमूर... >> मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है तुझे दी है कितनी कड़ी सज़ा तुझे इल्म है Share on: