मैं ने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरह By Sher << या अब्र-ए-करम बन के बरस ख... रहना तुम चाहे जहाँ ख़बरों... >> मैं ने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरह तू मिरा ख़्वाब नहीं है जो बिखर जाएगा Share on: