मैं रात सुस्त अनासिर से तंग आ गया था By अनासिर, Sher << माना कि ज़लज़ला था यहाँ क... बिखरता जाता है कमरे में स... >> मैं रात सुस्त अनासिर से तंग आ गया था मिरी हयात-ए-फ़सुर्दा में रंग आ गया था Share on: