मैं रौशनी पे ज़िंदगी का नाम लिख के आ गया By Sher << कोई ख़याल कोई याद कोई तो ... रात भर कोई न दरवाज़ा खुला >> मैं रौशनी पे ज़िंदगी का नाम लिख के आ गया उसे मिटा मिटा के ये सियाह रात थक गई Share on: