रात भर कोई न दरवाज़ा खुला By Sher << मैं रौशनी पे ज़िंदगी का न... मैं रुक गया चढ़ी हुई नद्द... >> रात भर कोई न दरवाज़ा खुला दस्तकें देती रही पागल हवा Share on: