मैं रुक गया चढ़ी हुई नद्दी के सामने By Sher << रात भर कोई न दरवाज़ा खुला अलग बैठे थे फिर भी आँख सा... >> मैं रुक गया चढ़ी हुई नद्दी के सामने कुछ वक़्त मेरे पास था बरसात के लिए Share on: