मैं शाख़-ए-सब्ज़ हूँ मुझ को उतार काग़ज़ पर By Sher << मैं उस के सामने उर्यां लग... मैं रौशनी हूँ तो मेरी पहु... >> मैं शाख़-ए-सब्ज़ हूँ मुझ को उतार काग़ज़ पर मिरी तमाम बहारों को बे-ख़िज़ाँ कर दे Share on: