मैं सोचता हूँ इस लिए शायद मैं ज़िंदा हूँ By Sher << फिर मिरी आस बढ़ा कर मुझे ... मैं सच तो बोलता हूँ मगर ऐ... >> मैं सोचता हूँ इस लिए शायद मैं ज़िंदा हूँ मुमकिन है ये गुमान हक़ीक़त का ज्ञान दे Share on: