मैं तो बस ये चाहता हूँ वस्ल भी By Sher << दिल की जागीर में मेरा भी ... तुझे आग़ाज़ ही से पढ़ लिय... >> मैं तो बस ये चाहता हूँ वस्ल भी दो दिलों के दरमियाँ हाएल न हो Share on: