मैं वो गर्दन-ज़दनी हूँ कि तमाशे को मिरे By Sher << मैं ज़ुल्फ़ मुँह में ली त... मैं उन मुसाफ़िरों में हूँ... >> मैं वो गर्दन-ज़दनी हूँ कि तमाशे को मिरे शहर के लोग खड़े हैं ब-सर-ए-बाम तमाम Share on: