माज़ी के रेग-ज़ार पे रखना सँभल के पाँव By माज़ी, Sher << इस बार राह-ए-इश्क़ कुछ इत... आँखों में एक बार उभरने की... >> माज़ी के रेग-ज़ार पे रखना सँभल के पाँव बच्चों का इस में कोई घरौंदा बना न हो Share on: