मजनूँ नहीं कि एक ही लैला के हो रहें By Sher << मकाँ शीशे का बनवाते हो &#... थके-हारे परिंदे जब बसेरे ... >> मजनूँ नहीं कि एक ही लैला के हो रहें रहता है अपने साथ नया इक निगार रोज़ Share on: